मैं बुरांस सा हो जाना चाहती हूँ
( This poem titled मैं बुरांस सा हो जाना चाहती हूँ is written by Bharti Tewari )
बंसत के बासंती रंगों में
एक रंग और मिलाना चाहती हूँ ।
मै बुरांस सा हो जाना चाहती हूँ ।
सेव,आडू खुमानी और प्लम के श्वेत पुष्पों को
लाल रंग की धारियों के मानिंद रंग कर
उनको अंतरंगी बनाना चाहती हूँ ।
मैं बुरांस सा हो जाना चाहती हूँ
लाल दहकते अंगारे के शोलों सा,
हरे भरे जंगल को दहकाना चाहती हूँ
मैं बुरांस सा हो जाना चाहती हूँ
लुभाना चाहती हूँ कीट परिंदे और पक्षियों को
गुच्छों में खिलकर
बन जाना चाहती हूँ आलय उनका
नवजात परिंदो का कलरव सुनना चाहती हूँ
मैं बुरांस सा हो जाना चाहती हूँ ।