फाग के रंग
( The poem titled फाग के रंग is written by Bharti Tewari )
सुर्ख लाल रंग में रंग जाना चाहती हूँ ।
अंगारे से दहकते लाल रंग में रंग कर
हरे भरे जंगल को दहकाना चाहती हूँ
मैं बुरांस सा हो जाना चाहती हूँ ।
बसंती रंग में रंग प्योंली बन जाना चाहती हूँ ,
धानी चुनरिया ओड़ पिय को लुभाना चाहती हूँ ।
मैं प्योंली सा बासंती हो जाना चाहती हूँ ।
सेब आड़ू खुंबानी के मानिंद धवल गुलाबी पंखुडी खोले
भौंरे से गुंजित बौरों के मृदुल संगीत सुनना चाहती हूँ ।
मै सप्त सुरों की स्वर लहरी सा हो जाना चाहती हूँ
मैं भी फाग के रंगों में रंग जाना चाहती हूँ ।